How to Inspect Your Car Before Buying a Used One: आज के समय में सेकंड हैंड कार खरीदना कई लोगों के लिए एक समझदारी भरा फैसला बन गया है। नई कारों की बढ़ती कीमतों और जल्दी बदलती टेक्नोलॉजी के कारण, लोग अब पहले से इस्तेमाल की गई कारों की तरफ रुख कर रहे हैं। लेकिन यह फैसला तभी फायदेमंद है जब आप गाड़ी खरीदने से पहले उसकी अच्छी तरह जांच करें।
कई लोग सिर्फ गाड़ी की चमक-दमक देखकर खरीद लेते हैं और बाद में पछताते हैं, क्योंकि गाड़ी में छिपी खराबियां बाद में सामने आती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप जानें — “How to Inspect Your Car Before Buying a Used One”, यानी इस्तेमाल की गई कार खरीदने से पहले उसकी पूरी जांच कैसे करें।
इस गाइड में हम एक-एक स्टेप में जानेंगे कि गाड़ी की बाहरी, आंतरिक और तकनीकी जांच कैसे की जाती है ताकि आप अपने पैसे का पूरा मूल्य पा सकें।
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कार इंस्पेक्शन की तैयारी (Before You Start the Inspection)

1. दिन के समय निरीक्षण करें
हमेशा कार की जांच दिन के उजाले में करें, ताकि पेंट, डेंट, और बॉडी की खामियां साफ दिखाई दें। कम रोशनी में कई डैमेज या रिपेंटेड हिस्से छिप जाते हैं।
2. खुली जगह में जांच करें
सुनिश्चित करें कि कार किसी खुली और समतल जगह पर खड़ी हो। इससे आप 360° व्यू में हर एंगल से कार देख पाएंगे।
3. किसी एक्सपर्ट या दोस्त को साथ ले जाएं
दो आंखों से बेहतर चार आंखें होती हैं!
किसी दोस्त, रिश्तेदार या मेकैनिक को साथ ले जाने से निरीक्षण में मदद मिलेगी और कार की वास्तविक स्थिति पर दूसरा नजरिया मिलेगा।
4. जरूरी सामान साथ रखें
निरीक्षण से पहले कुछ बेसिक चीज़ें साथ रखें —
- नोटबुक या मोबाइल (डिटेल्स नोट करने के लिए)
- टॉर्च या फ्लैशलाइट (अंधेरे हिस्से देखने के लिए)
- हाई-क्वालिटी म्यूज़िक फाइल (स्टीरियो टेस्ट करने के लिए)
- कोई Used Car App जैसे CarDekho या Droom (प्राइस और मॉडल कंपेर करने के लिए)
1. बाहरी जांच (Exterior Inspection)

सबसे पहले गाड़ी की बाहरी हालत देखना जरूरी है क्योंकि यही सबसे पहले नजर आती है और अक्सर इसके आधार पर ही पहली राय बनती है।
पेंट और बॉडी कंडीशन देखें
गाड़ी के चारों तरफ घूमकर ध्यान से देखें कि कहीं किसी जगह पर नया पेंट तो नहीं किया गया। कई बार विक्रेता डेंट या दुर्घटना के निशान छिपाने के लिए सिर्फ उस हिस्से को नया पेंट कर देते हैं।
अगर रंग में थोड़ी भी असमानता दिखे, तो समझिए कि उस हिस्से पर रिपेयर हुआ है। इसके अलावा, दरवाजे, बोनट और बूट को ध्यान से खोलकर देखें कि गैप समान हैं या नहीं — अगर नहीं हैं, तो वह किसी दुर्घटना का संकेत हो सकता है।
रस्ट या जंग की जांच करें
कार के निचले हिस्से, व्हील आर्च और डोर फ्रेम के पास जंग के निशान देखें। अगर वहां से धातु निकल रही हो या पेंट उखड़ रहा हो, तो यह भविष्य में बड़ी समस्या बन सकता है। जंग वाली गाड़ी की मरम्मत महंगी पड़ती है।
टायर की स्थिति जांचें
टायर का घिसाव समान है या नहीं, यह देखना जरूरी है। अगर एक तरफ का टायर ज्यादा घिसा हुआ है, तो व्हील एलाइनमेंट या सस्पेंशन में समस्या हो सकती है।
इसके अलावा टायर की उम्र भी चेक करें — हर टायर पर मैन्युफैक्चरिंग डेट होती है, जैसे “2519” मतलब यह टायर 2019 के 25वें हफ्ते में बना था।
2. इंजन और तकनीकी जांच (Engine & Technical Inspection)

इंजन किसी भी कार का दिल होता है। एक अच्छी बॉडी बेकार है अगर इंजन कमजोर हो।
इंजन की आवाज और धुआं
गाड़ी स्टार्ट करके ध्यान से सुनें कि इंजन की आवाज स्मूद है या उसमें खटखटाहट या कंपन है।
अगर एग्जॉस्ट से नीला या काला धुआं निकल रहा है, तो यह तेल जलने या खराब फ्यूल मिक्सिंग का संकेत है। यह इंजन की बड़ी खराबी का संकेत हो सकता है।
इंजन ऑयल और कूलेंट चेक करें
इंजन ऑयल का रंग गहरा भूरा या काला नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है, तो या तो ऑयल बहुत पुराना है या इंजन की सफाई ठीक नहीं हुई।
कूलेंट का लेवल और रंग भी देखें — यह हरा या गुलाबी होना चाहिए। अगर यह गंदा या कम है, तो इसका मतलब है कि इंजन का मेंटेनेंस ठीक से नहीं हुआ।
लीक या सीपेज की जांच करें
इंजन बे (Engine Bay) को टॉर्च से ध्यान से देखें। अगर कहीं से तेल या कूलेंट लीक हो रहा है, तो यह स्पष्ट संकेत है कि गाड़ी में तकनीकी खराबी है।
यह लीक आगे चलकर महंगे रिपेयर का कारण बन सकते हैं।
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3. अंदरूनी जांच (Interior Inspection)

अंदर की हालत से पता चलता है कि पिछले मालिक ने गाड़ी को कितनी सावधानी से इस्तेमाल किया।
सीट्स और अपहोल्स्ट्री देखें
अगर सीट्स बहुत घिसी हुई या दागदार हैं, तो यह बताता है कि गाड़ी ज्यादा चली है।
लेदर सीट्स पर क्रैक या फटे हिस्से भी ध्यान से देखें। ये छोटी चीजें लगती हैं, लेकिन रिप्लेसमेंट काफी महंगा हो सकता है।
डैशबोर्ड और इलेक्ट्रॉनिक्स जांचें
सभी बटन, AC, म्यूजिक सिस्टम, पावर विंडोज और हेडलाइट स्विच एक-एक करके टेस्ट करें।
अगर कोई फीचर काम नहीं कर रहा, तो उसकी मरम्मत लागत जोड़ें — कभी-कभी छोटे इलेक्ट्रिकल इश्यू भी हजारों रुपये खर्च करवा देते हैं।
ओडोमीटर पर ध्यान दें
ओडोमीटर पर दिख रही दूरी (mileage) कार की उम्र बताती है। भारत में एक औसत कार लगभग 10,000 से 12,000 किमी सालाना चलती है।
अगर गाड़ी बहुत पुरानी है लेकिन ओडोमीटर कम दिखा रहा है, तो यह “tampering” यानी बदलाव का मामला हो सकता है। ऐसे में सर्विस रिकॉर्ड जरूर देखें।
4. टेस्ट ड्राइव लेना न भूलें (Test Drive Importance)

स्टार्टिंग के समय आवाज
गाड़ी स्टार्ट करते समय किसी तरह की खटखटाहट या रुकावट नहीं आनी चाहिए। अगर इंजन बार-बार बंद हो या मिसफायर करे, तो यह खराब मेंटेनेंस का संकेत है।
ड्राइविंग के दौरान
गाड़ी को अलग-अलग स्पीड पर चलाकर देखें — 20, 40, 60 और 80 किमी/घं तक।
अगर स्टीयरिंग में वाइब्रेशन, ब्रेक लगाते समय शोर, या एक्सेलेरेशन में देरी महसूस हो, तो गाड़ी के सस्पेंशन या ब्रेक सिस्टम में दिक्कत हो सकती है।
ब्रेकिंग परफॉर्मेंस
ब्रेक दबाने पर गाड़ी सीधी रुकनी चाहिए। अगर गाड़ी एक तरफ खिंचती है, तो ब्रेक पैड्स या लाइनिंग में असमानता है।
5. डॉक्यूमेंट्स की जांच (Paperwork Verification)

आरसी (Registration Certificate)
आरसी पर गाड़ी का इंजन नंबर और चेसिस नंबर गाड़ी के असली नंबरों से मिलाएं।
अगर कोई फर्क है, तो यह चोरी या नकली डॉक्यूमेंट का मामला हो सकता है।
इंश्योरेंस और सर्विस रिकॉर्ड
इंश्योरेंस पेपर देखें — यह वैध होना चाहिए।
साथ ही, अगर गाड़ी सर्विस सेंटर पर रेगुलर सर्विस हुई है, तो उसका रिकॉर्ड या बिल जरूर देखें। इससे आपको असली माइलेज और मेंटेनेंस हिस्ट्री का अंदाजा मिलेगा।
फाइनेंस क्लियरेंस
अगर गाड़ी लोन पर खरीदी गई थी, तो सुनिश्चित करें कि बैंक ने NOC (No Objection Certificate) जारी किया हो। बिना NOC के गाड़ी ट्रांसफर नहीं होगी।
6. प्रोफेशनल इंस्पेक्शन करवाएं
अगर आप खुद से तकनीकी जांच नहीं कर सकते, तो किसी भरोसेमंद मैकेनिक या सर्विस सेंटर से Pre-Purchase Inspection (PPI) करवाएं।
यह सर्विस थोड़ी महंगी लग सकती है (लगभग ₹1000–₹3000 तक), लेकिन इससे आप लाखों रुपये की गड़बड़ी से बच सकते हैं।
7. नेगोशिएशन और फाइनल डील

गाड़ी की सारी जांच के बाद अगर आपको कुछ छोटी-मोटी खामियां दिखती हैं, तो उनका फायदा उठाकर कीमत पर बातचीत करें।
हर खामी का हिसाब लगाएं और उसी हिसाब से ऑफर करें।
अगर सेलर सच्चा है, तो वह आपकी बात समझेगा और रेट एडजस्ट करेगा।
निष्कर्ष
सेकंड हैंड कार खरीदना समझदारी है, लेकिन यह तभी फायदेमंद होता है जब आप हर छोटी-बड़ी बात पर ध्यान दें।
थोड़ी सी जांच और सतर्कता से आप एक भरोसेमंद, बढ़िया कंडीशन वाली कार पा सकते हैं जो सालों तक साथ दे।
याद रखें — खरीदने से पहले जांचना, बाद में पछताने से कहीं बेहतर है।
FAQs – How to Inspect Your Car Before Buying a Used One
Q1. सेकंड हैंड कार खरीदते समय सबसे पहले क्या चेक करें?
सबसे पहले कार की बॉडी, पेंट और रस्ट की जांच करें। फिर इंजन ऑयल, टायर और पेपरवर्क देखें।
Q2. क्या कार की सर्विस हिस्ट्री जरूरी है?
हां, इससे आपको पता चलता है कि कार कितनी नियमित सर्विस हुई है और कहीं बड़ी रिपेयर तो नहीं हुई।
Q3. इंजन की हेल्थ कैसे जांचें?
इंजन स्टार्ट करते समय आवाज़, स्मोक और वाइब्रेशन पर ध्यान दें। अगर इंजन स्मूद चले तो ठीक है।
Q4. क्या टेस्ट ड्राइव जरूरी है?
बिलकुल, टेस्ट ड्राइव से स्टीयरिंग, ब्रेक, गियर और सस्पेंशन की रियल कंडीशन पता चलती है।
Q5. क्या प्रोफेशनल इंस्पेक्शन जरूरी है?
हाँ, अगर आप मेकैनिक नहीं हैं तो किसी ट्रस्टेड वर्कशॉप से प्री-पर्चेज इंस्पेक्शन जरूर करवाएं।
Disclaimer: यह लेख केवल शैक्षणिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है।
यह किसी भी प्रकार की वित्तीय या कानूनी सलाह नहीं है। खरीदारी से पहले अपनी स्थिति के अनुसार विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।
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Raj Prajapati, Senior Content Writer, brings 4 years of blogging expertise. He writes how-to tutorials, lifestyle articles, and career-focused content that helps readers make informed decisions.